Friday, August 28, 2009

अपना...

जिसे ख्वाबों में देखा वो कभी न मिला...
जिसका तसुवर भी न था वोही अपना निकला

जब भी नज़र उठाई कोई अपना ना मिला...
जब साया ही अपना न था तो औरों से क्या गिला.

जब भी गिला किया पलट के हमे शिकवा ही मिला
हमेशा मेरे.. अपने.. तुम्हारे.. पराये.. किया पर कुछ भी ना मिला.


पुनीत मेहता
अगस्त २६, २००९

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