एक तेज़ आंधी सी आती...
कभी ठंडी बयार बन जाती
एक उफनती नदी सी बहती...
कभी एक शांत समंदर बन जाती
एक चुलबुली चिड़िया सी चहकती...
कभी रंग बिरंगी तितली बन उड़ती
एक मासूम बच्ची सी बतियाती...
कभी अम्मा बन ज्ञान बघारती
शायद ऐसी होती है बहन प्यारी...
काश मेरी भी होती एक गुड़िया दुलारी
काश...
पुनीत मेहता
२८ जुलाई २००९
Tuesday, August 25, 2009
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