आज फिर से रब को
अर्जी दे आया हूँ...
बहुत ज्यादा नहीं बस
थोड़ा थोड़ा ही मांग आया हूँ
थोड़ी सी हँसी... थोड़ी सी खुशी
थोड़ा सा आराम... थोड़ा सा सुकून
थोड़ी सी शांति... थोड़ी सी प्रार्थना
थोड़ा सा प्यार... थोड़ा सा इश्क
थोड़ी सी इंसानियत... थोड़ी सी रूहानियत
थोड़ा सा सूरज... थोड़ी सी चांदनी
थोड़ी सी साँसें... थोड़ी सी जिन्दगी
थोड़ा सा आसमां... थोड़ी सी जमीं
थोड़े से शब्द... थोड़ी सी आवाजें
थोड़ी सी रूह... थोड़ी सी आत्मा
कह आया...
सब नहीं दे सकते तो थोड़ा दे दें...
तुम्हारी अब भी चलती है सबको दिखा दे
पुनीत मेहता
३० जुलाई २००९
Tuesday, August 25, 2009
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