Wednesday, October 14, 2009

आटा चक्की (पहला पीपा)

मैं एक चक्की वाला हूँ
रोज़ कुछ न कुछ पीसता रहता हूँ...
... कभी सपने और आशाएं
... कभी प्यार और विश्वास
... कभी विचार और भावनाएं
... कभी उम्मीद और हकीकत
... कभी शब्द और अभिवयक्ति
और निकलता हूँ...
सफ़ेद, शुद्ध, महीन जिन्दगी का आटा...
जीवन से भरी नरम नरम रोटियां बनाने को...



(क्रमशः)

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