Saturday, October 18, 2008

अपने पल

कुछ पल हैं... कुछ लम्हें हैं...
इन्ही में से कुछ को चुराता हूँ
और यू ही जीये जाता हूँ

कुछ लोग हैं... कुछ आवाजें हैं...
बस उन्हें सुनता हूँ और सुनाता हूँ
और यू ही जीये जाता हूँ

वो कल कभी तो होगा
जहाँ मेरे अपने पल होंगे...
लम्हे होंगे... आवाजें होंगी...
और होगा जीने को अपना जीवन

पुनीत मेहता

1 comment:

manvinder bhimber said...

वो कल कभी तो होगा
जहाँ मेरे अपने पल होंगे...
लम्हे होंगे... आवाजें होंगी...
और होगा जीने को अपना जीवन
bahut sunder