Monday, June 22, 2009

लिखू …क्या ?

आज फिर बहुत बेचैनी है...
कुछ लिखने की.
आज फिर मन बहुत व्यथित है...
कुछ न लिख पाने से.
लिखना चाहता हूँ पर विषयवस्तु नहीं मिलती
वो कहते है देखो सब्जेक्ट भरा पड़ा है...
पर मुझे क्यों नहीं दिखता?
किस पर लिखू...
रोज़ गिरती लाशों पर! या
इन लाशों पर सिकती राजनेतिक रोटियों पर!
क्या लिखू...
बघेर भूखे बच्चों की कहानियां या
नित नित बेरोजगार होते नोजवानों की दास्ताँ?
कैसे लिखू कि...
किस तरह रिश्ते कलुषित होते जा रहे हैं या
कहाँ को आये थे और कहाँ चले जा रहे हैं
एक विषय तो बता दो...
कुछ तो सुझा दो...
कही कुछ तो सुहाना दिखे...
जिन्हें इन कागजों पर उतार सकु
कुछ देर ही सही एक...
शांत, शीतल, सुन्हेरे भविष्य को निहार सकु.


पुनीत मेहता
27 मई 2009

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